दोस्तों आज हम Demat Account Kya Hai लेख में जानेंगे डीमैट अकाउंट क्या होता है, डीमैट अकाउंट कहां खोला जाता है, हमे डीमैट अकाउंट क्यों चाहिए, किसके साथ खोलें, डिमैट खाते के कई लाभ हैं, लेकिन कुछ नुकसान भी हैं।
और किन बातों को धेयान में रखना चाहिए और भी बहुत कुछ आसान और सरल भाषा में निचे बिस्तार से समझेंगे और जानेंगे डीमैट अकाउंट होता क्या है।
यदि आप स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेड करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
Demat Account Kya Hai (What is Demat Account in Hindi)
शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहली और जरूरी चीज डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होता है।
डिमैट अकाउंट – शेयर्स और सेक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक रूप होल्डिगं करता है।
ट्रेडिंग अकाउंट – डिमैट में पड़े शेयर्स और सेक्योरिटीज को (Buy/Sell) खरीदने और बेचने का आर्डर प्लेस करता है।
इस लेख में हम डिमैट अकाउंट क्या है, क्यूं, कैसे, कहां फायदे और नुक्सान के बारे में बात करेंगे।
डीमैट अकाउंट एक ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक खाता होता जिसमे शेयर्स और सिक्योरिटीज इत्यादि को डिजिटल रुप रखने का अनुमति मिलता है।
सेबी के बनाये गए नियमो के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना डीमैट अकाउंट के शेयर बाजार में किसी भी सेगमेंट्स में निवेश या ट्रेड और शेयर्स को खरीद या बेच नहीं सकता है।
📝 लेख विषय 👇
अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेड करना चाहते है तो डीमैट अकाउंट का होना अनिवार्य है। तभी आप शेयर बाजार में निवेश और ट्रेड कर सकते है।
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Demat Account Meaning in Hindi
डीमैट अकाउंट का फुल फर्म – Dematerialized Account होता है। जिसे शार्ट में डीमैट अकाउंट कहते है। और इसे हिंदी में अभौतिकीकरण खाता कहा जाता है। डिमैटेरियलाइजेशन एक ऐसा प्रक्रिया का नाम है, जिसमे स्टॉक मार्केट शेयर, सिक्योरिटीज और निवेश इत्यादि फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट को डिजिटली ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक रूप में कन्वर्ट करने को डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट कहा जाता है।
डिमैट खाता क्या होता है ?
डीमैट अकाउंट शेयर बाजार में ख़रीदे गए शेयर्स और सिक्योरिटीज को संग्रहित करने वाला एक सेफ इलेक्ट्रॉनिक अकाउंट होता है।
जिसमें वित्तीय प्रतिभूतियों ( Financial Securities ) स्टॉक्स, बांड्स, डेब्ट, सरकारी डिबेंचर, इटीएफ, म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड निवेश इत्यादि को डीमैट अकाउंट में ऑनलाईन डिजिटली इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा जाता है।
डिमैट अकाउंट सेफ लौकर की तरह होता है जिसमें आप शेयर्स और म्युचुअल फंड निवेश इत्यादि को सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक रूप में होल्डिगं करते हैं। जोकि इसे ही डिमैट अकाउंट कहते हैं।
उदहारण 👇
डीमैट अकाउंट एक सेविंग बैंक अकाउंट की तरह होता है जैसे हम अपने पैसे को बैंक अकाउंट में सेफ रखते और उपयोग करते है। वैसे ही शेयर बाजार में डीमैट अकाउंट होता है जहा पे निवेश प्रतिभूतियों और शेयर्स इत्यादि को डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखते और बेचते है।
जब आप शेयर बाजार में किसी भी खंड में निवेश करते है तो आपका निवेश सीधे डीमैट खाता में जाके जमा हो जाता है। जहा पे आपका निवेश की पूरी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक रूप मे दीखता है।
डीमैट अकाउंट में आप खरीदें हुए शेयर्स को आसानी से जमा करते और बेचते है। डीमैट खाता में निवेश, पोर्टफोलियो और शेयर्स की प्रदर्शन को रियल टाइम में अपने ब्रोकर मंच पर देख सकते है।
डीमैट अकाउंट क्यों चाहिए
अगर बात कारे की डीमैट अकाउंट क्यों चाहिए तो जान लीजिये की डिपाजिटरी अधिनियम (Act) के अनुसार अगर आप शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपके पास डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना अनिवार्य है। बगैर डीमैट खाता के शेयर बाजार में निवेश और ट्रैड नहीं किया जा सकता है।
सेबी के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना डिमैट खाता के किसी भी सेगमेंट्स में निवेश या ट्रेडिंग नहीं कर सकता है।
डिमैट अकाउंट का उद्देश्य
डिमैट अकाउंट का प्राथिमिक उद्देश्य शेयर बाजार व्यापार और निवेशकों के लिए ट्रेडिंग और निवेश प्रक्रिया को बहुत सरल और आसान बनाना है।
डिमैट खाता आपको अपने निवेश का डायरेक्ट एक्सेस देता है। जिससे आप अपने पोर्टफोलियो को रियल टाइम में कहीं से भी मोनिटर कर सकते है। और बहुत ही कम समय में डिमैट खाते में पड़े शेयर्स और सेक्योरिटीज को एक जगह से दुसरे जगह आनलाईन बिना किसी कागजी कार्रवाई के ट्रांसफर कर सकते हैं।
डीमैट अकाउंट की इतिहास- Demat account ka Itihaas
डीमैट अकाउंट की जरुरत क्यों पड़ी और इतिहास के बात करे तो वर्ष 1996 से पहले क्या होता था की जब लोग शेयर खरीदते तो उन्हें प्रूफ के तौर पर फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट मिलता है था।
और जब लोग शेयर को बेचते तो शेयर्स को एक जगह से दूर जगह ट्रांसफर करने में बहुत टाइम लगता था और बहुत से कागजी कार्र्यवाही से गुजरना पड़ता था जिससे लोगो को बहुत दिक़्क़त होता था।
और यही नहीं फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट को संभाल के रखने में और बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ता था जैसे
- शेयर सर्टिफिकेट रखे रखे ख़राब हो जाता था।
- बहुत आसानी से डुप्लीकेट बन जाता था।
- शेयर सर्टिफिकेट का खो जाना
- शेरे सर्टिफिकेट का चोरी का दर
- शेयर सर्टिफिकेट का फट जाने का दर
इत्यादि: जैसे परेशानियो का सामना करना पड़ता था इसलिए 1996 में डिपॉजिटरीज अधिनियम (Act) द्वारा डीमैट खता को लाया गया जिससे निवेशकों को फिजिकल शेयर सर्टिफिकेट से जुडी परेशानियों और जोखिम का चिंता करने की जरुरत नहीं रही।
जिसके बाद से सारी निवेश और सिक्योरिटीज डीमैट खाता में ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक रूप में आ गयी और लोगो को शेयर बाजार में निवेश करना या शेयर्स को खरीदना और बेचना बहुत आसान हो गया।
डीमैट अकाउंट कहां खोला जाता है
अब आपके मन में यह सवाल आता होगा कि डिमैट अकाउंट कहां खोला जाता है। तो बेसिकली डिमैट अकाउंट सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज (Securities Depositories) के पास खुलता है।
मगर सवाल यह भी है की, क्या आप डिपॉजिटरीज के पास सीधा डीमैट अकाउंट खोल सक्ते है?
तो जवाब है, नहीं,
क्यूंकि डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज सदस्य DP द्वारा खोला जाता है। DP यानि ब्रोकर्स, बैंक और फाइनेंसियल इंस्टीटूशन हो सकते है। इनके माध्यम से के सेक्योरिटीज डिपॉजिटरीज पास डीमैट खाता खुलता है।
सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज डीमैट अकाउंट की सेवा प्रदान करती है, डेपोसिटीज़ का कार्य शेयर बाजार में सिक्योरिटीज, स्टॉक्स, बांड्स, इटीएफ, डेब्ट, म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड, निवेश इत्यादि को अपने पास सुरक्षित संग्रहित करना है। और लेनदेन प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक स्थानांतरित करना और सुरक्षित रूप से अपने पास रखना है।
इंडिया में 2 बड़ी डिपॉजिटरीज संसथाऐ है जो डिमैट अकाउंट की सेवा प्रदान करती हैं और पुरी तरह से सिक्योरिटीज को नियंत्रित (Manage) करती है।
- CDSL – सेक्योरिटीज डिपॉजिटरीज सर्विसेज लिमिटेड ऑफ इंडिया।
- NSDL – नेशनल सेक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड ऑफ़ इंडिया।
यह दोनों डिपॉजिटरीज का कार्य सेम है और यह सेबी के अधीन, सेबी की सख्त नियम और निगरानी में कार्य करती हैं।
शेयर मार्किट में DP क्या है ?
DP का फुलफॉर्म “डीपॉजिटरीज पार्टीसिपेंट” होता है।
डीपीज सिक्योरिटीज डिपॉसिटोरी और इन्वेस्टरों के बिच बाजार मध्यस्त के रूप में ब्रोकर का कार्य करते है।
डीपी बेसिकली शेयर बाजार में डीमैट खाते खोलवाने और सेक्योरिटीज की लेन-देन प्रक्रिया को आपने मंच द्वारा आसान बनातें हैं। जिनका यह आपसे ब्रोकरेज चार्जेज भी लेता है।
डिमैट अकाउंट के फाएदे
डिमैट अकाउंट के आने के बाद निवेशकों को बहुत फायदे हुवे, जिससे शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग करना और सेक्योरिटीज को सेफली इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होल्डिंग करना आसान हो गया, और पेपर शेयर से जुड़ी जोखिम का सम्भावना नहीं रहा। और भी कुछ जैसे
- निवेश में आसानी
- सुरक्षित निवेश
- सेक्युरिटिज, स्टॉक्स इत्यादि की डिजिटल रूप में होल्डिगं
- स्टॉक को आसानी से खरीदना और बेचना
- कम स्टोरेज स्पेस की आवश्यकता
- शेयर्स सर्टिफिकेट अपने पास रखने की चिंता नहीं
- चोरी और धोखाधड़ी के सम्भावना नहीं
- निवेश पोर्टफोलियो को रियल टाइम मॉनिटर करना
- निवेश का इजी एक्सेस
- सिक्योरिटीज, स्टॉक्स इत्यादि बिल्कुल सेफ
और आपके द्वारा ख़रीदे गए शेयर्स, सिक्योरिटीज और म्यूच्यूअल फण्ड निवेश इत्यादि प्रूफ और सेर्टिफिकेट इलेक्ट्रॉनिक फर्म डीमैट खता हो गया। मगर फायदे के साथ कुछ नुक्सान भी है
डीमैट अकाउंट के नुकसान
डीमैट अकाउंट के नुक्सान, जैसा के ऊपर हमने कुछ महत्पूर्ण फायदे के बारे में बात की वैसे ही इसके कुछ नुक्सान के भी बात कर लेते है।
- डीमैट अकाउंट ओपनिंग चार्ज – जब आप डीमैट अकाउंट किसी ब्रोकर और बैंक के साथ खोलते है, तो आपको अकाउंट ओपनिंग चार्ज भी लगता है। यह चार्जेज तय नहीं है, हर एक ब्रोकर का अलग सर्विस चार्ज है।
- अकाउंट मेंटेनेंस चार्ज – जब आपका डीमैट अकाउंट एक बार ओपन हो जाता है, तो आपको हर साल अकाउंट मेंटेनेंस चार्ज भी लगता है। यह चार्जेज हर एक ब्रोकर का अलग है।
- शेयर्स की लेन-देन में देरी – डीमैट अकाउंट में शेयर खरीदने और बेचने में एक दिन भी समय लग सकता है।
- अकाउंट फ्रीजिंग – अगर आप काफी लंबे दिनों तक अपने डीमैट अकाउंट में को उपयोग और लॉग-इन नही करते है, तो डीमैट अकाउंट फ्रीज किया जा सकता है।
- मुफ्त डीमैट अकाउंट ऑफर छलावा – बहुत ऐसे ब्रोकर होते है, जो मुफ्त डीमैट अकाउंट ओपनिंग चार्ज बोलकर काफी ज्यादा फीस चार्ज करते है।
- सुरक्षा संबंधी जोखिम – डीमैट अकाउंट में पड़े शेयरों और निवेशों की सुरक्षा आपके लॉग-इन डिटेल्स पर भी निर्भर करती है। अपने लॉग-इन डिटेल्स मजबूत रखे, और किसी के साथ शेयर ना कारे नहीं तो आपके शेयरों और निवेश को खतरा हो सकता है।
- डेटा बेचना – कुछ डिस्काउंट और लालची ब्रोकर होते है जो आपका डाटा किसी कंपनी को बेच देते है, जिसके बाद आपको ट्रेडिंग, क्रेडिट कार्ड, लोन के लिए आपको बार बार मैसेज, कॉल और ईमेल आते है।
दोस्तों डीमैट अकाउंट क्या है के बारे में और अधिक जयादा जानने के लिए Wikipedia या निचे गयी इस वीडियो को देख सकते सकते है। इस वीडियो आपको यही पता चल जायेगा की डीमैट अकाउंट किसके साथ खोलें।
Video credit: Groww Youtube Channel
डीमैट खाता खोलने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
डिमैट खाता खोलने के लिए आपकी आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
डीमैट अकाउंट कौन सी बैंक में खुलता है?
डिमैट अकाउंट खोलने के लिए कोई एक बैंक सीमित नहीं है, आप इंडिया के किसी भी बैंक में डिमैट खाता खोलवा सकते हैं।
डिमैट अकाउंट फीस कितनी है?
इंडिया में डिमैट अकाउंट की फीस सीमित नहीं है, यह ब्रोकर्स, बैंक या फाइनेंशियल इन्स्टीट्यूसन पर निर्भर करता है, हर एक का अलग फीस है, कोई फीस लेता है और कोई फीस चार्ज नहीं करता है।
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निष्कर्ष – Demat Account Kya Hai Hindi
डिमैट खाता एक महत्वपूर्ण शेयर बाजार साधन है जो निवेशकों को स्टॉक और अन्य सिक्योरिटीज को डिजिटल रूप में खरीदने, बेचने और होल्ड करने में सक्षम बनाता है।
डिमैट खाते के कई लाभ हैं, लेकिन कुछ नुकसान भी हैं।
डिमैट खाता खोलने से पहले, आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम की tolerance को ध्यान में रखना चाहिए।
दोस्तों हमने इस में जाना और समझा कि डिमैट अकाउंट क्या है, डिमैट क्यूं ज़रूरी है, डिमैट अकाउंट कहां खुलता है, और डिमैट अकाउंट के कुछ महत्वपूर्ण फाएदे और नुक्सान और बहुत कुछ इस लेख में जाना ।
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